Tuesday, December 14, 2010


दर्द हो रहा है इस दिल मे आज
नजाने क्युं है ये बेचेनी
गुनाह तो हुआ है हमसे
वरना न होती ये लाचारी|

 प्यार है गुनाह,
झूठे है सारे जो न माने
सच्चाई से बेखोफ़
अपने भ्रम मे परवाने |

गुनाह है तो सज़ा भी,
कोई न भाग सके इससे
प्यार, हुआ तो ऐक पल मे
मिल रही सजा जिसकी हर पल है|

प्यार देता है हमसफ़र प्यारा
साथ देती दो राह अनंत
देती अकेले चलने का मुकद्दर
दर्द और अंधकार का भवर |

समझ के भी नासमझ है,
देख कर भी अनजान
जाने अनजाने मे जानने का ख्वाब लिए
आज भी कितने आशिक कुर्बान
 कितने आशिक कुर्बान.....|



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